साइबर हमलों की धमकियाँ और भारत का साइबर सुरक्षा ढाँचा

साइबर हमलों की संभावित धमकियाँ और उन्हें रोकने के लिए सुरक्षा ढाँचा पर चर्चा करें।
उत्तर:
जैसे-जैसे विश्व आधुनिक होता जा रहा है, वह नए प्रकार के हमलों, युद्धों और सुरक्षा खतरों का सामना कर रहा है। जैसे राइट ब्रदर्स के विमान बनाने से पहले वायुसेना का कोई अस्तित्व नहीं था, वैसे ही अब हमारे पास एक नया क्षेत्र है—आभासी दुनिया, जिसे हम "साइबर वर्ल्ड" कहते हैं। यह साइबर वर्ल्ड इंटरनेट, कंप्यूटर और अन्य डिजिटल माध्यमों के ज़रिये मानव जीवन और राष्ट्र के हर पहलू को छूता है। इसलिए, साइबर हमले की संभावित धमकी शारीरिक हमले से भी अधिक खतरनाक हो सकती है।
साइबर हमले की संभावित धमकियाँ:
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साइबर हमला कंप्यूटर सूचना प्रणाली, नेटवर्क और आधारभूत संरचनाओं पर दुर्भावनापूर्ण प्रोग्राम, वायरस या वॉर्म आदि के ज़रिये किया जाता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि हमलावर को पीड़ित देश की सीमाओं में प्रवेश करने की ज़रूरत नहीं होती। वह अपने सुरक्षित घर से ही हमला कर सकता है और उसे किसी प्रकार का कोई जोखिम नहीं होता, लेकिन नुकसान भारी हो सकता है।
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साइबर हमले से होने वाला नुकसान बहुत व्यापक हो सकता है, क्योंकि आज लगभग हर चीज़ साइबर वर्ल्ड और इंटरनेट से जुड़ी हुई है या उस पर निर्भर करती है। अमेरिका जैसे देश में भी इसको लेकर गंभीर संघर्ष जारी है।
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यह समझना ज़रूरी है कि जब दुनिया का सबसे विकसित देश भी साइबर हमलों से अछूता नहीं है, तो खतरे की गंभीरता क्या हो सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में साइबर युद्ध के ज़रिये हस्तक्षेप के आरोपों ने यह स्पष्ट कर दिया।
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हाल की घटनाएँ जैसे Wannacry, Ransomware, Petya आदि ने व्यक्तियों के जीवन को प्रभावित किया है। लंदन के स्वास्थ्य ढांचे पर एक साइबर हमले का गहरा असर पड़ा था। बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक से भी साइबर हमले द्वारा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान के माध्यम से धन चुराया गया।
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वित्तीय संस्थान डिजिटल लेनदेन पर निर्भर होते हैं, और ऐसे सभी ट्रांजैक्शन्स साइबर हमलों की चपेट में आ सकते हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा जैसी सारी सेवाएँ अब साइबर वर्ल्ड से जुड़ी हैं। इस कारण, साइबर हमला किसी भी देश को पंगु बना सकता है और प्रत्येक नागरिक का जीवन प्रभावित हो सकता है।
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यह सब एक बहुत ही कम लागत वाले खतरनाक प्रोग्राम बनाकर किया जा सकता है। ये साइबर बम असली बमों से कई गुना सस्ते लेकिन बहुत अधिक घातक होते हैं।
साइबर हमलों को रोकने के लिए सुरक्षा ढाँचा:
जैसे-जैसे दुनिया भर में साइबर सुरक्षा को लेकर चेतना बढ़ रही है, वैसे ही भारत भी इसके लिए तैयारी कर रहा है। भारत द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम इस प्रकार हैं:
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CERT-In (Computer Emergency Response Team–India): भारत की कंप्यूटर इमरजेंसी प्रतिक्रिया टीम
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NTRO (National Technical Research Organisation): राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन, जो साइबर सुरक्षा के लिए तकनीकी क्षमताओं का विकास करता है
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National Intelligence Grid (NATGRID): राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड
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Cyber Swachhata Kendra: बोटनेट सफाई और मैलवेयर विश्लेषण केंद्र
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सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act)
इन सभी और अन्य प्रयासों का समन्वय राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति 2013 (National Cyber Security Policy 2013) के माध्यम से किया जाता है। CERT-In सभी साइबर सुरक्षा प्रयासों के लिए नोडल एजेंसी है। 2014 में राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक (National Cyber Security Coordinator) का पद भी सृजित किया गया।
ये सभी उपाय साइबर हमलों को रोकने के लिए एक मजबूत सुरक्षा ढांचा प्रदान करते हैं।
गुलशन राय समिति की सिफारिश पर भारतीय साइबर क्राइम समन्वय केंद्र की स्थापना की दिशा में भी कार्य प्रारंभ हो चुका है। लेकिन, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों को विकसित करने की दिशा में और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। वर्तमान में भारत में प्रशिक्षित साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की संख्या बहुत कम है।
हालाँकि, इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। भारत और विश्व को साइबर हमलों से बचाने के लिए एक "साइबर सेना" की आवश्यकता है, जिसमें कुशल साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ हों।
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