भारत में स्वतंत्रता के बाद कृषि में हुई विभिन्न क्रांतियाँ और उनका गरीबी उन्मूलन तथा खाद्य सुरक्षा में योगदान

कृषि में विभिन्न क्रांतियों की व्याख्या:
स्वतंत्रता के तुरंत बाद भूमि सुधार और काश्तकारी सुधार किए गए। लेकिन ये सुधार खाद्य सुरक्षा की स्थिति में विशेष सुधार नहीं ला सके। ये सुधार गरीबी को भी दूर करने में असमर्थ रहे। इसलिए पहली बड़ी क्रांति — कृषि क्रांति (हरित क्रांति) की शुरुआत हुई।
हरित क्रांति की नींव सिंचाई की सुविधा, रासायनिक उर्वरक और उच्च उत्पादकता वाली किस्मों के बीजों पर रखी गई। इससे कृषि उत्पादन में ज़बरदस्त वृद्धि हुई और विशेषकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों की आय में बड़ा इजाफा हुआ। अब टिकाऊ और जैविक कृषि पर ध्यान देने के लिए दूसरी हरित क्रांति और सदा हरित क्रांति (एवरग्रीन रेवोल्यूशन) की बात की जा रही है।
सहायक क्षेत्रों में अन्य प्रमुख क्रांतियाँ:
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श्वेत क्रांति (White Revolution) और ऑपरेशन फ्लड, जिसने दुग्ध उत्पादन बढ़ाकर खाद्य सुरक्षा और गरीबी उन्मूलन में अहम भूमिका निभाई। अमूल, मदर डेयरी, सांझी, सुधा जैसी सहकारी संस्थाएँ इसी पर आधारित हैं।
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नीली क्रांति (Blue Revolution), मत्स्य पालन के क्षेत्र में, जो विशेष रूप से भारत के तटीय क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण रही।
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गुलाबी क्रांति (Pink Revolution), मांस और मुर्गी पालन के क्षेत्र में।
कैसे इन क्रांतियों ने गरीबी उन्मूलन में मदद की:
इन क्रांतियों के चलते खाद्य उत्पादन में भारी वृद्धि हुई। इसके परिणामस्वरूप किसान अपने उत्पाद बाज़ार में बेच सके और चूँकि भारत की 70-80% आबादी अभी भी कृषि पर निर्भर है, इस कारण व्यापक स्तर पर लाभ पहुँचा।
कृषि उत्पादों के निर्यात के नए रास्ते खुले। इससे कृषि उत्पादों का व्यावसायीकरण बढ़ा और लाभ की स्थिति बनी। अनेक कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना हुई। साथ ही, किसानों की बढ़ी हुई आय ने औद्योगिक उपभोक्ता वस्तुओं के लिए बाज़ार और माँग तैयार की।
इन क्रांतियों के प्रभाव को बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) के आँकड़ों से आंका जा सकता है। स्वतंत्रता के समय भारत में बड़ी संख्या में ग़रीब लोग थे। 1990 के दौरान लगभग 40% आबादी गरीबी रेखा के नीचे थी। आज, सुरेश तेंडुलकर समिति के अनुमान के अनुसार, यह घटकर 21.9% रह गई है। रंगराजन समिति, विश्व बैंक और अन्य अध्ययन भारत में बीपीएल आबादी को 21-55% के बीच बताते हैं। अतः इन क्रांतियों ने गरीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कैसे इन क्रांतियों ने खाद्य सुरक्षा में मदद की:
ऐसे दिन थे जब भारत को अपनी बुनियादी खाद्य ज़रूरतों के लिए भी विदेशी मदद पर निर्भर रहना पड़ता था। PL-480 योजना इसका प्रमुख उदाहरण है।
लेकिन आज, भारत 270 मिलियन टन से अधिक खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन करता है। भारत दूध, आम, केला, अंडा, मछली, चावल जैसे कई उत्पादों में दुनिया में अग्रणी स्थान रखता है। इन सभी उपलब्धियों में उपरोक्त सभी क्रांतियों का प्रत्यक्ष योगदान है।
अब भारत अपनी खाद्य सुरक्षा के लिए किसी पर निर्भर नहीं है। हालाँकि, गरीबी उन्मूलन के लिए खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग) और जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) के क्षेत्र में एक और क्रांति की आवश्यकता है।