डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम, 2023

इस लेख में प्रचलित धारणा के विरुद्ध तर्क दिया गया है कि "डेटा नया तेल है"।
यह भारत के डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम, 2023 के संदर्भ में अधिक सूक्ष्म दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता पर जोर देता है।
यह डेटा से जुड़े तीन मूलभूत सिद्धांतों को चुनौती देता है:
एक तटस्थ विवरण के रूप में डेटा:
लेख इस विचार का खंडन करता है, कि डेटा वास्तविकता का एक तटस्थ प्रतिबिंब है।
इसके बजाय, लेख में यह तर्क दिया गया है कि, डेटा केवल एक विवरण नहीं है, बल्कि व्यक्तियों की पहचान का एक परिभाषित तत्व है, जो उनके वर्तमान को आकार देता है और उनके भविष्य के व्यवहार की भविष्यवाणी करता है।
यह सूक्ष्म दृष्टिकोण से डेटा निर्माण पर गहन नैतिक विचार की मांग करता है।
एक वस्तु के रूप में डेटा:
लेखक डेटा के आर्थिक मूल्य पर अत्यधिक ध्यान देने की आलोचना करता है, जिससे उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी का खरीद-बिक्री हो सकता है।
यह उपभोक्ताओं के व्यक्तिगत जीवन के निरंतर डेटाफिकेशन का विरोध करने की आवश्यकता का सुझाव देता है और इस बात पर जोर देता है कि, सभी डेटा का उपयोग आर्थिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता या नहीं किया जाना चाहिए।
डेटा की अविभाज्यता:
- लेख इस धारणा को चुनौती देता है कि, डेटा उपभोक्ताओं के सहमति के बिना या अपने स्रोत को खोए बिना स्वतंत्र रूप से हस्तान्तरित कर सकता है।
- यह व्यक्तियों की गोपनीयता और सहमति की सुरक्षा के लिए डेटा का उपयोग और प्रसार कैसे किया जा सकता है, इसे विनियमित करने की वकालत करता है।
- देश में बायोमेट्रिक डेटा के व्यापक उपयोग को देखते हुए, 2023 के डीपीडीपी अधिनियम को भारत में डेटा संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
- हालाँकि, लेख का तर्क है कि, अधिनियम को पहले मसौदे के रूप में देखा जाना चाहिए और यह उपरोक्त तीन सिद्धांतों की अधिक महत्वपूर्ण परीक्षण की मांग करता है।
- यह सुझाव देता है कि, विशेष रूप से सुभेद्य वर्गों और अनिश्चित व्यक्तियों के लिए डेटा निष्पक्षता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए परिचालन वास्तविकताओं की लगातार जांच की जानी चाहिए।
संक्षेप में, लेख का तर्क है कि, डेटा केवल एक आर्थिक वस्तु नहीं है, बल्कि लोगों के जीवन, पहचान और गोपनीयता के साथ गहराई से जुड़ी एक जटिल इकाई है।
यह भारत के डीपीडीपी अधिनियम, 2023 के संदर्भ में डेटा विनियमन के लिए अधिक व्यापक और नैतिक दृष्टिकोण का आह्वान करता है।