

भारत जैसे बहुधार्मिक लोकतंत्र में यदि कोई कानून धार्मिक प्रबंधन से जुड़ा हो, तो बहस तय है। वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025, जिसे हाल ही में संसद द्वारा पारित किया गया, अब सुप्रीम कोर्ट में संवैधानिक वैधता की चुनौती का सामना कर रहा है।
यह ब्लॉग आपको देगा कोर्ट की लाइव अपडेट, CJI संजीव खन्ना की टिप्पणियाँ, और धार्मिक नेताओं, राजनेताओं व विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं—सब एक जगह।
वक्फ अधिनियम इस्लामिक धर्मार्थ संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़ा है। 2025 के संशोधन में ये अहम बदलाव किए गए:
वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति
विवादित संपत्तियों की स्थिति बदलने की राज्य सरकार को शक्ति
“वक्फ-बाय-यूजर” श्रेणी को समाप्त करना
पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के दावे
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CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने विवादित प्रावधानों पर गौर किया और तीन-पॉइंट का अंतरिम आदेश प्रस्तावित किया:
वक्फ घोषित संपत्तियों को फिलहाल डिनोटिफाई न किया जाए
विवादित संपत्तियों की जांच सरकारी अधिकारी द्वारा जारी रह सकती है, लेकिन उपयोग पर रोक रहे
वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम एक्स-ऑफिशियो सदस्य नियुक्त किए जा सकते हैं, यदि बहुमत मुस्लिम हो
सरकार ने ज्यादा समय मांगा, और मामला 17 अप्रैल को दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
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दूसरे दिन की सुनवाई में गर्मा-गर्मी, गूंजते सवाल, और बड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आईं।
“जब हम बेंच पर बैठते हैं, तो हम अपना धर्म खो देते हैं। हम पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष हैं।”
यह बयान तब आया जब सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि यदि गैर-मुस्लिम वक्फ बोर्ड में नहीं हो सकते, तो हिंदू जज मुस्लिम मामलों की सुनवाई कैसे कर सकते हैं।
“क्या गैर-हिंदू को हिंदू ट्रस्ट बोर्ड्स में शामिल किया जाएगा?”
“हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद है। हम संविधानिक प्रक्रिया पर विश्वास करते हैं।”
“विपक्ष की याचिकाएं भटकाने वाली हैं, कोर्ट का समय बर्बाद कर रही हैं।”
“SC ने वक्फ एक्ट की तीन खतरनाक धाराओं पर रोक लगाने की बात कही, यह साहसी कदम है।”
“SC वही सवाल पूछ रहा है जो हमने JPC में उठाए थे। अगर संविधान से खिलवाड़ हो रहा है तो कार्रवाई ज़रूरी है।”
वक्फ इस्लामिक धार्मिक कर्तव्य है
राज्य का हस्तक्षेप अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन है
संशोधन से पारदर्शिता और नियंत्रण बढ़ेगा
गैर-मुस्लिमों की भागीदारी से विविधता और जवाबदेही
“वक्फ-बाय-यूजर” बिना दस्तावेज़ी प्रमाण के कानूनी समस्या बनता है
🌐 जानिए: अनुच्छेद 25 और 26 क्या कहते हैं – PRS India विश्लेषण
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CJI ने पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून पर हिंसा को "चिंताजनक" बताया। यह दिखाता है कि यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक भी है।
कानूनी जानकार मानते हैं कि यदि वक्फ-बाय-यूजर खत्म किया गया, तो यही नज़ीर हिंदू मठों, गुरुद्वारों और गिरजाघरों पर भी लागू हो सकता है। यह एक मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात हो सकता है।
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राज्यसभा में संकीर्ण बहुमत (128–95) और लोकसभा में 56 वोटों का अंतर—यह दिखाता है कि वक्फ संशोधन पहले से ही एक राजनीतिक मुद्दा है, और अब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से इसके चुनावी असर भी सामने आ सकते हैं।
यह सिर्फ एक कानून नहीं, यह भारत की धर्मनिरपेक्षता और न्यायपालिका की भूमिका का इम्तिहान है।
क्या सुप्रीम कोर्ट धार्मिक स्वायत्तता की रक्षा करेगा या सरकार की नियामक शक्तियों को वैधता देगा?
देशभर की निगाहें अब सुप्रीम कोर्ट पर हैं।
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